आदित्य L1 मिशन क्या है? यह सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य L1 एक अंतरिक्ष मिशन है जो सूर्य पर होने वाले घटना के बारे में अध्ययन करेगा । इस लेख में हम देखेंगे आदित्य L1 क्या है? L1 को किस रॉकेट द्वारा भेजा गया है? लैग्रेंज पॉइंट, इन पर कौन-कौन से पेलोड्स लगे हैं ? आदित्य L1 का उद्देश्य क्या है ? इन सभी के बारे में डिटेल में जानकारी प्राप्त करें ।
Adity L1 Solar Mission
मिशन | 🚀 आदित्य L1 |
Launch Date | ⏲️ 2 सितम्बर 2023 (11:50 am) |
लॉंच स्थान | सतीश धवन स्पेस सेण्टर |
रॉकेट | 🚁 PSLV-C57 XL |
Deployed | 🪂 लैग्रेंज पॉइंट |
पेलोड संख्या | 🔥 7 पेलोड |
Mission | 🔥 सूर्य का अध्ययन करना |
Budget | 💰 400 करोड़ (लगभग) |
आदित्य L1 वजन | ⚖️ 400 किलोग्राम |
आदित्य L1 मिशन क्या है ?
यह एक अंतरिक्ष मिशन है जिसके तहत सूर्य का अध्ययन करेगा । इस मिशन को भारत के इसरो के द्वारा तैयार किया गया है । यह सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष मिशन है ।
सबसे पहले आदित्य L1 Space Craft को PSLV-XL व्हीकल में लोड करा जायेगा और फिर श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेण्टर से 2 सितम्बर 2023 को सुबह 11:50 am को लॉंच कर दिया गया है ।
पृथ्वी से दूर 800 km के निचले ऑर्बिट में इसे छोड़ा जायेगा । फिर यह स्पेस क्राफ्ट धीरे धीरे ऑर्बिट में रोटेट करते हुए एलिप्टिकल ऑर्बिट बनाएगा ।
जिस प्रकार से चंद्रयान 3 को लॉंच किया गया था । उसी प्रकार से एक निश्चित एलिप्टिकल ऑर्बिट पकड़ने के बाद, इसके ऑनबोर्ड इंजन को चालू कर दिया जायेगा । जिससे यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के क्षेत्र से बहार चला जायेगा ।
इसके पश्चात आदित्य L1 की लैग्रेंज पॉइंट तक की सफर शुरू होगी । लैग्रेंज पॉइंट क्या है आगे में विस्तार से दिया गया है ।
आदित्य L1 को किस रॉकेट से भेजा गया ?
इस स्पेस क्राफ्ट (Adity-L1) को PSLV-XL रॉकेट द्वारा भेजा गया है । यह रॉकेट PSLV का उन्नत वर्जन है । जिसको PSLV-XL नाम दिया गया है । इस PSLV-XL का पूरा नाम Polar Satellite Launch Vehicle Extended Length है ।
PSLV-XL यह चार स्टेज का लॉंच व्हीकल है ।
(क) प्रथम स्टेज
- यह Solid Stage है ।
- यह पूरी दुनिया का सबसे बड़ा ठोस ईंधन वाला रॉकेट बूस्टर का उपयोग किया गया है ।
- इस रॉकेट बूस्टर में ईंधन का उपयोग HTPB (Hydroxyl Terminated Polybutadiene) का इस्तेमाल किया गया है ।
(ख) दूसरा स्टेज
- रॉकेट का दूसरा स्टेज लिक्विड स्टेज (Liquid stage) है ।
- दूसरा स्टेज में Vikas Engine का उपयोग किया गया है । इसी के द्वारा पॉवर दिया जाता है ।
- इसमें फ्यूल के रूप में UDMH (Unsymmetrical Dimethyl Hydrogen का और Oxidiser के रूप में Nitrogen Tetoxide) का इस्तेमाल हुआ है ।
(घ) तीसरा स्टेज
- यह एक Solid Stage है ।
- इसमें फ्यूल का उपयोग HTPB (Hydroxyl Terminated Polybutadiene) का उपयोग होता है ।
(ग) चौथा स्टेज
- चौथा स्टेज Liquid Stage है ।
- यहाँ पर फ्यूल का उपयोग Monomethylhydrazine और Mixed Oxides of Nitrogen का इस्तेमाल किया जाता है ।
लैग्रेंज पॉइंट क्या है ?
वह स्थान को लैग्रेंज पॉइंट कहा जाता है जहाँ पर दो बॉडी के ग्रेविटेशनल फाॅर्स के बीच के खाली जगह हो, जहाँ पर दोनों बॉडी का ग्रेविटेशनल फाॅर्स जीरो होता है । या कहें कोई वस्तु को उस जगह पर छोड़ देने पर वह वस्तु उसी स्थान पर टिके रहे । उन दोनों बॉडी के गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा उस वस्तु पर कोई प्रभाव ना पड़ता हो ।
यानि कि इसी जगह पर आदित्य L1 को तैनात किया जायेगा । आदित्य L1 को सूर्य और पृथ्वी अपनी ओर नहीं खींचेगा । इसी को ही लैग्रेंज पॉइंट (Lagrange Point) कहा जाता है ।
लैग्रेंज पॉइंट कितने होते हैं ?
कोई भी दो गुरुत्वाकर्षण बल के वस्तु के बीच 5 लैग्रेंज पॉइंट होते हैं । ऊपर देख सकते हैं यहाँ L1 पृथ्वी ओर सूर्य के लाइन में उपस्थित है । जहँ पर आदित्य L1 को छोड़ा जाना है । आदित्य L1 को जिस ऑर्बिट में छोड़ा जायेगा उसको Hola Orbit कहते हैं ।
यहाँ से हर समय इसके द्वारा सूर्य पर होने वाले घटना की निगरानी कर सकते हैं बिना किसी दिक्क्त के । क्योंकि इस पॉइंट पर कोई सूर्य ग्रहण चद्रं ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
आदित्य L1 में कितने पेलोड हैं ?
इस आदित्य L1 में कुल 7 पेलोड लगाए गए हैं । जो इस प्रकार हैं —
- VELC
- SUIT
- SOLEXS
- HEL-1-OS
- ASPEX
- PAPA
- MAG
(1) VELC Payload
- इसका पूरा नाम Visible Emission Line Coronagra है ।
- इस पेलोड का काम Corona लेयर की अध्ययन करना और दूसरा काम Coronal Mass Ejections को अध्ययन करना है ।
- Coronal Mass Ejections एक ऐसी घटना है जब Corona से एनर्जेटिक और हाइली Magnetic Magma का बड़ा सा क्लाउड Space में फैल जाता है ।
- इस कोरोनल मास इजेक्शन का इफ़ेक्ट इतना जबरदस्त है इसके वजह से पृथ्वी पर रेडियो और मैग्नेटिक डिस्टरबेंस देखने को मिलते हैं ।
(2) SUIT Payload
- What is Suit Payloads?
- यह पेलोड सूर्य की Photosphere और Chromosphere की लेयर को Near Ultra violet ray की मदद से फोटो बनाएगा और साथ में Near Ultra violet में Solar Irradiance की Variation की भी मेजर करेगा ।
- Solar Irradiance का अर्थ Electromagnetic Radiation की फॉर्म में सूर्य से Per Unit Aera Received होने वाली पॉवर है ।
(3) SOLEX Payload
- SOLEX का पूरा नाम Solar Low Energy X-Ray Spectrometer है ।
- इसका काम सूर्य से Wide X-Ray Energy Range के ऊपर सूर्य से निकलने वाली एक्स-रे फ्लेर्स की अध्ययन करेगा । यानि Soft X-Ray Spectrometer के रूप में काम करेगा ।
(4) HEL-1-OS Payload
- HEL-1-OS का पूरा नाम High Energy L1 Orbiting X-Ray Spectrometer है ।
- यह भी सूर्य से निकलने वाले एक्स-रे फ्लेर्स की स्टडी करेगा । यह Hard X-Ray Spectrometer के रूप में काम करेगा ।
(5) ASPEX Payload
- ASPEX का पूरा नाम Aditya Solar Wind Particle Experiment है ।
- इनका काम Solar Wind में प्रोटोन पार्टिकल का विशलेशन करना और चार्ज आयन की अध्ययन करना है । साथ ही में उनकी Energy Distribution को समझना है ।
(6) PAPA Payload
- PAPA का पूरा नाम Plasma Analyser Package for Adity है ।
- इसका काम सोलर पवन में Electron Particle की अध्ययन करना है ।
(7) MAG Payload
- MAG का पूरा नाम Advanced Tri-axial High Resolution Digital Magnetometer है ।
- इनका विशेष काम L1 पॉइंट पर Inter Plantery या In-Situ Magnetic Fields का मापन करना है ।
आदित्य L1 का उद्देश्य क्या है ?
आदित्य L1 मिशन का उद्देश्य निम्न हैं :
- सौर वायुमंडल के दो महत्त्वपूर्ण लेयर Chromosphere ओर Corona के बारे में अध्ययन करना है । इन लेयर पर तापमान बहुत ज्यादा ऊपर निचे होते रहता है ।
- सूर्य के क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल का तापमान ओर सूर्य से निकलने वाला प्लाज्मा के भौतिक गुण, और कोरोनल मास इजेक्शन के बारे में अध्ययन करना है ।
- सूर्य के बाहरी लेयर Corona पर उपस्थित चुंबकीय क्षेत्र और चुंबकीय क्षेत्र टोपोलॉजी के बारे में अध्ययन करना ।
- सूर्य में होने वाले हलचल के बारे में अध्ययन करना ।
- सूर्य पर घटित होने वाले लाल मेग्मा के विस्फोट के बारे में जानकारी जुटाना ।
ताजा खबर
आदित्य एल 1 के HEL1OS पैलोड ने सूर्य की पहली झलक सौर फ्लेयर (सौर ज्वाला) को कैप्चर किया है ।
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Conclusion
ISRO का यह मिशन अपने आप में एक रिस्की मिशन है । क्योंकि सूर्य का तापमान काफी अधिक है । इस लेख के द्वारा हमने सूर्य पर होने वाले विभिन्न अध्ययन की जानकारी को देखा । आदित्य L1 मिशन क्या है के बारे में जानकारी कैसे लगी । आदित्य L1 मिशन से भारत के वैज्ञानिक और भारतीय लोगों में गर्व की बात होगी । अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें । धन्यवाद !
FAQs
Q1. आदित्य L1 मिशन क्या है ?
उत्तर→ यह सौर पर होने वाले अंतरिक्ष मिशन है जिसके माध्यम से सूर्य के बारे में अध्ययन किया जायेगा ।
Q2. आदित्य एल1 सूर्य से कितनी दूर होगा?
उत्तर→ आदित्य L1 सूर्य से लगभग
Q3. सूर्य से पृथ्वी तक लाइट आने में कितना समय लगता है?
उत्तर→ पृथ्वी तक सूर्य का प्रकश आने में 8 मिनट 16.6 सेकंड का समय लगता है ।